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Thursday, December 1, 2011

Market Future India - Free Share Market tips, Trading Tips, Today's Market Analysis Report

Market Future India - Free Share Market tips, Trading Tips, Today's Market Analysis Report
संयुक्‍त राष्‍ट्र की चेतावनी- नए साल में फिर मंदी का खतरा, भारत-चीन भी मुश्किल में
संयुक्‍त राष्‍ट्र. संयुक्‍त राष्‍ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया एक ओर मंदी की मार झेलने के कगार पर पहुंच गई है। संस्‍था का अनुमान है कि अगले साल यानी 2012 में वैश्विक स्‍तर पर विकास दर में और गिरावट आएगी और इसका असर भारत और चीन जैसी बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर भी पड़ेगा। यूएन के मुताबिक पिछली बार चीन और भारत ने मंदी से उबरने में दुनिया की मदद की थी लेकिन इस बार इनकी भी हालत खस्‍ता हो जाएगी।

‘वर्ल्‍ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्‍पेक्‍ट्स 2012’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले साल दुनिया की विकास दर 2.6 फीसदी तक गिर जाएगी जो 2010 में चार फीसदी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2012 दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए बेहद अहम साबित होगा। अगले साल बाजार के क्षेत्र में बेहद असमंजस की स्थिति बनी रहेगी और विकास दर धीमी रहेगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘वैश्विक आर्थिक मंदी की मार से दुनिया अभी तक पूरी तरह उबरी ही नहीं कि एक और मंदी (डबल डिप रिसेशन) का खतरा मंडराने लगा है।’

खतरनाक संकेत: अमेरिका में और बढ़ी कंगाली, ब्रिटेन में भी बदतर हालात का खतरा
वॉशिंगटन/लंदन. अमेरिका और यूरोप की लगातार बदहाल होती आर्थिक तस्वीर के चौंकाने वाले नतीजे लगातार सामने आ रहे हैं। अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी का आलम यह है कि दुनिया के सबसे ताकतवर और अमीर माने जाने वाले मुल्क में लाखों बच्चे मुफ्त भोजन के सहारे जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

पिछले कुछ सालों में खस्ताहाल होती अमेरिकी अर्थव्यवस्था का असर अब वहां के समाज पर सीधे तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका में ऐसे बच्चों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है जो स्कूलों में मुफ्त या सस्ते भोजन से गुजारा कर रहे हैं। इनमें से ऐसे कई बच्चे उन घरों से आते हैं जो कुछ साल पहले तक मध्य वर्ग से ताल्लुक रखते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों में आर्थिक संकट के चलते उनके माता-पिता को अपनी नौकरी या घर गंवाना पड़ा है।

अमेरिका के कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2006-7 में जहां मुफ्त या सस्ता भोजन लेने वाले बच्चों की तादाद 1.8 करोड़ थी वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 2.1 करोड़ हो गया है। मतलब है पिछले चार सालों में ऐसे बच्चों की तादाद में 17 फीसदी का उछाल। अमेरिका के 11 राज्यों में पिछले चार सालों में यह आंकड़ा 25 फीसदी या इससे ज़्यादा बढ़ा है। इन राज्यों में फ्लोरिडा, न्यू जर्सी, टेनेसी और नेवादा शामिल हैं।
वहीं, अमेरिका में सख्त पुलिसिया कार्रवाई के बावजूद कॉरपोरेट जगत में फैले भ्रष्टाचार और गलत आर्थिक नीतियों के खिलाफ 'ऑकुपाई वॉल स्ट्रीट' आंदोलन नहीं थम रहा है। सितंबर से हुए आंदोलन में अब तक सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। ताज़ा पुलिसिया कार्रवाई में लॉस एंजिलिस और फिलाडेल्फिया में करीब 350 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका में पुलिस डलास, न्यू ऑरलियंस, ओकलैंड, पोर्टलैंड और न्यूयॉर्क में ऑकुपाई वॉल स्ट्रीट आंदोलन के प्रदर्शनकारियों के शिविर उखाड़ कर फेंक रही है। लेकिन बावजूद इसके प्रदर्शनकारी झुकने को तैयार नहीं है। उन्होंने 12 दिसंबर को अमेरिका के पश्चिमी तट और कनाडा के प्रशांत महासागर के सीबोर्ड पर मौजूद सभी बंदरगाहों को बंद करने का ऐलान किया है।

दूसरी तरफ, बढ़ती महंगाई, तनख्वाहों के लंबे समय तक रुकने और कटौती के चलते ब्रिटेन के निवासियों की खर्च की क्षमता में अगले कुछ सालों में जबर्दस्त गिरावट का अंदेशा जताया गया है। इंस्टीट्यूट फॉर फिस्कल स्टडीज (आईएफएस) के विश्लेषण के मुताबिक ब्रिटेन में औसत आमदनी में इस साल 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की जाएगी जो 2012 में और गिरेगी। यही वजह है कि ब्रिटेन में सरकारी नियमों में हो रहे बदलावों के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। पेंशन नीति में बदलाव के खिलाफ सार्वजनिक क्षेत्र के करीब 20 लाख कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया है। आईएफएस ने चेतावनी दी है कि 2016 में उन परिवारों की हालत 14 साल पहले की तुलना में बहुत ज़्यादा खराब होगी जहां बच्चे हैं।

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