नई दिल्ली. देश की सुरक्षा को लेकर नए गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का क्या एजेंडा है, इस बारे में वह आज कुछ साफ नहीं कर पाए। उन्होंने बस इतना कहा कि गृह मंत्रालय चुनौती भरा मंत्रालय है। लेकिन वह यह कहना नहीं भूले कि आम तौर पर गृह मंत्रालय किसी दलित को नहीं दिया जाता है। राजीव गांधी पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने दलित को मौका देते हुए बूटा सिंह को गृह मंत्री बनाया था। इसके बाद देश में दूसरी बार अब सोनिया गांधी की वजह से यह संभव हुआ है।
लगातार दो दिन ग्रिड फेल होने की वजह से बिजली मंत्री के रूप में आलोचना झेलने वाले शिंदे ने गृह मंत्रालय संभालने के बाद तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'अमेरिका में बिजली चार-चार दिन नहीं आती। यहां तो कुछ घंटों में आ गई। जनता को हमारे ग्रिड की तारीफ करनी चाहिए, कि वे कैसे काम करते हैं।'
चपरासी से शुरुआत कर आज गृह मंत्री बने शिंदे पुलिस सब इंस्पेक्टर भी रहे हैं। महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने से काफी पहले वह छह साल तक पुलिस में रहे थे। शिंदे ने वित्त मंत्री के तौर पर नौ बार महाराष्ट्र का बजट पेश किया। इसके अलावा कल्चर मिनिस्टर के तौर पर भी काम किया। वर्ष 2004 में महाराष्ट्र में कांग्रेस की जीत के बावजूद वह मुख्यमंत्री बनने में असफल रहे और उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया जा रहा था। लेकिन 2006 की जनवरी में शिंदे देश की राजनीति में उभर कर सामने आए और ऊर्जा मंत्री बने।
गांधी परिवार के सबसे वफादार नेताओं में शुमार शिंदे वर्ष 2002 में यूपीए की ओर से उप राष्ट्रपति के चुनाव में भी उतरे लेकिन भैरो सिंह शेखावत के सामने जीत नहीं पाए। एक दलित नेता और मजबूत मंत्री के तौर पर जाने जाने वाले सुशील कुमार शिंदे अब 71 वर्ष के हो गए हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत अदालत में चपरासी के तौर पर की थी। इसके बाद पुलिस की नौकरी के दौरान वह राजनीति के करीब आए। उनके गुरु शरद पवार से भी उनकी मुलाकात उसी दौर में हुई थी। पवार उस दौर में महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव थे। पवार ने शिंदे की काबिलियत को पहचान लिया था और उन्हें राजनीति में शामिल होने का न्यौता देते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा था। वर्ष 1974 में शिंदे करमाला सीट पर अपनी किस्मत अजमाने के लिए उतरे और जीत भी गए। इसके बाद वह राज्य में मंत्री बनाए गए। शिंदे पांच बार सोलापुर से विधानसभा पहुंचे हैं और तीन बार लोकसभा।
शिंदे को गृह मंत्री बनाने के बाद ऊर्जा मंत्रालय का 'अतिरिक्त प्रभार' कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली को दिया गया है। आठ अगस्त से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। संभव है कि प्रणब मुखर्जी के स्थान पर शिंदे को लोकसभा में सदन के नेता की जिम्मेदारी भी सौंपी जाए।
प्रणब के मंत्रालय में करीब साढ़े तीन साल बाद 66 वर्षीय पी. चिदंबरम की वापसी हुई है। यानी वह अब गृह मंत्री से वित्त मंत्री बन गए हैं। उन्हें दिसंबर 2008 में गृह मंत्रालय सौंपा गया था। प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद वित्त मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संभाल रहे थे।
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लगातार दो दिन ग्रिड फेल होने की वजह से बिजली मंत्री के रूप में आलोचना झेलने वाले शिंदे ने गृह मंत्रालय संभालने के बाद तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'अमेरिका में बिजली चार-चार दिन नहीं आती। यहां तो कुछ घंटों में आ गई। जनता को हमारे ग्रिड की तारीफ करनी चाहिए, कि वे कैसे काम करते हैं।'
चपरासी से शुरुआत कर आज गृह मंत्री बने शिंदे पुलिस सब इंस्पेक्टर भी रहे हैं। महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने से काफी पहले वह छह साल तक पुलिस में रहे थे। शिंदे ने वित्त मंत्री के तौर पर नौ बार महाराष्ट्र का बजट पेश किया। इसके अलावा कल्चर मिनिस्टर के तौर पर भी काम किया। वर्ष 2004 में महाराष्ट्र में कांग्रेस की जीत के बावजूद वह मुख्यमंत्री बनने में असफल रहे और उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया जा रहा था। लेकिन 2006 की जनवरी में शिंदे देश की राजनीति में उभर कर सामने आए और ऊर्जा मंत्री बने।
गांधी परिवार के सबसे वफादार नेताओं में शुमार शिंदे वर्ष 2002 में यूपीए की ओर से उप राष्ट्रपति के चुनाव में भी उतरे लेकिन भैरो सिंह शेखावत के सामने जीत नहीं पाए। एक दलित नेता और मजबूत मंत्री के तौर पर जाने जाने वाले सुशील कुमार शिंदे अब 71 वर्ष के हो गए हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत अदालत में चपरासी के तौर पर की थी। इसके बाद पुलिस की नौकरी के दौरान वह राजनीति के करीब आए। उनके गुरु शरद पवार से भी उनकी मुलाकात उसी दौर में हुई थी। पवार उस दौर में महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव थे। पवार ने शिंदे की काबिलियत को पहचान लिया था और उन्हें राजनीति में शामिल होने का न्यौता देते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा था। वर्ष 1974 में शिंदे करमाला सीट पर अपनी किस्मत अजमाने के लिए उतरे और जीत भी गए। इसके बाद वह राज्य में मंत्री बनाए गए। शिंदे पांच बार सोलापुर से विधानसभा पहुंचे हैं और तीन बार लोकसभा।
शिंदे को गृह मंत्री बनाने के बाद ऊर्जा मंत्रालय का 'अतिरिक्त प्रभार' कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली को दिया गया है। आठ अगस्त से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। संभव है कि प्रणब मुखर्जी के स्थान पर शिंदे को लोकसभा में सदन के नेता की जिम्मेदारी भी सौंपी जाए।
प्रणब के मंत्रालय में करीब साढ़े तीन साल बाद 66 वर्षीय पी. चिदंबरम की वापसी हुई है। यानी वह अब गृह मंत्री से वित्त मंत्री बन गए हैं। उन्हें दिसंबर 2008 में गृह मंत्रालय सौंपा गया था। प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद वित्त मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संभाल रहे थे।
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