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Thursday, May 26, 2011
Stop wasting food, feed a billion needy
Wednesday, May 25, 2011
टेक्निकल क्लासरूम
तकनीकी विश्लेषण का मतलब होता है शेयर के भाव के चार्ट्स की समीक्षा करके भविष्य के उतार-चढ़ाव की जानकारी पता करना। यह समझना जरूरी है कि तकनीकी विश्लेषण पूरी तरह से शेयर की कीमतों पर आधारित होता है। कंपनी की मूलभूत जानकारियों, जैसे मुनाफा, बिक्री, कर्ज, का इस्तेमाल तकनीकी विश्लेषण में नहीं किया जाता है। साथ ही, विश्लेषण करते समय माना जाता है कि बाजार से जुड़ी और दूसरी सभी जानकारी उपलब्ध हैं और उनका इस्तेमाल शेयर का चार्ट बनाते वक्त किया गया है।
तकनीकी विश्लेषण का मुख्य सिद्धांत है कि शेयर बाजार पूरी तरह से पारदर्शीय है और बाजार के सभी प्रतिभागी कुशल हैं। बिना किसी ठोस कारण के शेयरों की खरीद-फरोख्त तकनीकी विश्लेषण सिद्धांतों के खिलाफ है। फंडामेंटल विश्लेषण के मुकाबले तकनीकी विश्लेषण में ज्यादा लचीलापन है। फंडामेंटल विश्लेषण शेयरों के उतार-चढ़ाव को जानने के लिए तिमाही नतीजों, आय पर गाइडेंस और कंपनी नीतियों में बदलाव पर निर्भर करता है।
अगर ये माना जाए कि फंडामेंटल विश्लेषण ही शेयरों के उतार-चढ़ाव की सही तौर पर बता सकता है, तो ऐसे में शेयरों की कीमतों में साल में 4-5 बार ही बदलाव दिखना चाहिए। लेकिन, ऐसा नहीं होता है। शेयरों के भाव रोजाना बढ़ते-घटते हैं। इस उतार-चढ़ाव के बारे में तकनीकी विश्लेषण से ही पता किया जा सकता है।
रिलेटिव स्ट्रेंथ कंपैरेटिव क्या है?
तकनीकी विश्लेषण से हम किसी भी शेयर की रिलेटिव स्ट्रेंथ कंपैरेटिव (आरएससी) पता लगा सकते हैं। रिलेटिव स्ट्रेंथ कंपैरेटिव का मतलब है शेयर के उतार-चढ़ाव की किसी सूचकांक, दूसरी कंपनी के शेयर या फिर सेक्टर से तुलना कर सकते हैं।
किसी शेयर के पिछले प्रदर्शन को जानने के लिए आरएससी का इस्तेमाल किया जा सकता है। आरएससी के नतीजों से आप जान पाएंगे कि शेयर में निवेश करना फायदेमंद रहेगा या नहीं।
जिन शेयरों में सूचकांकों से ज्यादा उतार-चढ़ाव दिखता है जरूरी नहीं है कि शेयर किसी एक दिशा में कारोबार करे। जिन शेयर का आरएससी कोअफिशन्ट ज्यादा होता है, वो शेयर सूचकांक से ज्यादा चढ़ते हैं। लेकिन, सूचकांकों के मुकाबले इन शेयरों में धीमी गिरावट दिखती है।
ऐसे शेयरों में निवेश करने से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।
कंटिन्यूएशन और रिवर्सल पैटर्न क्या होते हैं?
कंटिन्यूएशन पैटर्न की मदद से बढ़त वाले शेयरों के बारे में पता चलता है और शेयर की आगामी कीमत बताई जा सकती है। वहीं, रिवर्सल पैटर्न से कमजोरी वाले शेयरों के बारे में पता जा सकता है और उनकी कीमत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
रिवर्सल पैटर्न से पता चल सकता है कि शेयर बाजार में तेजी जारी रहेगी या फिर गिरावट का सिलसिला शुरू होने वाला है।
चैनल, सूचकांक और ट्रेंडलाइंस कंटिन्यूएशन पैटर्न का हिस्सा होते हैं। रिवर्सल पैटर्न में आयलैंड रिवर्सल, मूविंग एवरेज क्रॉसओवर और हेड-शोल्डर फॉर्मेशन (शेयरों के वॉल्यूम में उतार-चढ़ाव का पैटर्न) शामिल होते हैं।
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Nifty may slip to 5354-5322: Angel Broking
According to a report by Angel Broking, if Nifty trades below 5405 levels for the first half-an-hour of trade then it may correct up to 5354-5322 levels.
Angel Broking report:
The trend deciding level for the day is 18,078/5,405 levels. If Niftytrades above this level during the first half-an-hour of trade then we may witness a further rally up to 18,185–18,376/5,438–5,489 levels. However, if Nifty trades below 18,078/5,405 levels for the first half-an-hour of trade then it may correct up to 17,887–17,780/5,354–5,322 levels.
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