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Friday, March 23, 2012
खतरनाक सीमा तक पहुंचा चीन का कर्ज, ढह जाएगी अर्थव्यवस्था
चीनी अर्थव्यवस्था के लिए एक और बुरी खबर है। भारत के इस पड़ोसी देश की इकोनॉमी पर कर्ज बढ़कर 695 अरब डॉलर पहुंच गया है जो 27 सालों में सर्वाधिक है। चीन के लिए यह चिंता का विषय इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि चीनी की अर्थव्यवस्था में इन दिनो मंदी देर्ज की जा रही है। ऐसे में चीन के लिए कर्ज का बोझ बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है।
चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज द्वारा जारी किए गए आकंडों के मुताबिक चीन का विदेशी कर्ज 2010 से अब तक 146 अमेरिकी डॉलर बढ़ चुका है इसमें 27 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके अलावा देश पर शॉर्ट कर्ज का बोझ भी 72 फीसदी बढ़ गया है।
जानकारों के अनुसार चीन पर विदेशी कर्ज बढ़ने का मुख्य कारण है कि चीन अपनी मुद्रा का अवमूल्यन रोकने के लिए विदेशों से उधार लेता है जिससे इसपर कर्ज बढता जा रहा है चीन की मुद्रा जितनी डॉलर के मुकाबले मजबूत होती है उतना ही चीन को घाटा होता है क्योंकि चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा डॉलर का रिजर्व भंडार है चीन की मुद्रा युआन मजबूत होने से उसके रिजर्व में रखे डॉलर की वैल्यू गिर जाती है।
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